Tuesday, April 8, 2014

राजेन्द्र राजन की एक कविता

राजेन्द्र राजन की एक कविता

तुम अकेले नहीं हो विनायक सेन
जब तुम एक बच्चे को दवा पिला रहे थे
तब वे गुलछर्रे उड़ा रहे थे ...

जब तुम मरीज़ की नब्ज़ टटोल रहे थे
वे तिजोरियां खोल रहे थे

जब तुम ग़रीब आदमी को ढाँढ़स बंधा रहे थे
वे ग़रीबों को उजाड़ने की नई योजनाएँ बना रहे थे

जब तुम ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे थे
वे संविधान में सेंध लगा रहे थे

वे देशभक्त हैं क्योंकि वे व्यवस्था के हथियारों से लैस हैं और तुम देशद्रोही क़रार दिए गए
जिन्होंने उन्नीस सौ चौरासी किया
और जिन्होंने उसे गुजरात में दोहराया

जिन्होंने भोपाल गैस कांड किया
और जो लाखों टन अनाज गोदामों में सड़ाते रहे

उनका कुछ नहीं बिगड़ा
और तुम गुनहगार ठहरा दिए गए

लेकिन उदास मत हो
तुम अकेले नहीं हो विनायक सेन

तुम हो हमारे आँग सान सू की हमारे लिए श्याओबो

तुम्हारी जय हो

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